चंडीगढ। समय से पहले मिली मौत के निशान दूसरे जन्म में मिले शरीर को दाग दे जाते हैं। पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग की स्टडी कहती है कि अगर व्यक्ति अप्राकृतिक मौत का शिकार (हत्या, डूबना, स़डक हादसा या दुर्घटना) होता है तो आखिरी समय में वह जो भी कष्ट सहता है, वह बर्थ मार्क के रूप में अगले जन्म तक साथ नहीं छोडता। स्टडी पिछले जन्मों के ऎसे कई राज खोलती है, जिसमें मौत के दो साल बाद व्यक्ति का पुर्न जन्म हुआ और उसे अपने पिछले जन्म के हर रिश्ते की याद थी। न्यूरोलॉजी विभाग पुर्न जन्म की थ्यौरी को सुलझाने के लिए 20 सालों से काम कर रहा है। एक मामूली सी चोट पर जोर-जोर से चिल्लाने वाले 5 साल के धु्रव (बदला नाम) को जब दिमागी रोग समझ बलटाना से पीजीआई इलाज को लाया गया तब पता चला कि धु्रव की यादों में मौजूदा नहीं पिछले जन्म का डर था। धु्रव की टांग में लगी चोट को जब मां दुपट्टे से बांधने लगी तो धु्रव ने मां को धक्का देकर कहा दूर हो जाओ तुम मेरा गला दबा दोगी। धु्रव ने पिता को बताया कि उसका घर दूसरा है जहां उसके मम्मी-पापा, बहन, बीवी और बच्चे भी हैं। 6 साल की उम्र में धु्रव मां-बाप को सहारनपुर ले गया और वहां पिछले जन्म के मां, बाप और बीवी को पहचान लिया। पिछले जन्म के पिता ने धु्रव से पूछा फैवरेट चीज क्या थी तब धु्रव ने कहा वो ƒ़ाडी जो आपने कलाई पर बांध रखी है। धु्रव की बात सुनकर पिता रो प़डे और कहने लगे कि मैंने बेटे की याद में ही ƒ़ाडी को कलाई पर बांध रखा है। बेटा रोशनलाल फौजी था और उसका किसी ने कार में ही खून कर दिया था। धु्रव ने पिता को बताया कि पिछले जन्म में जब एक केस की गवाही देने के लिए अदालत जा रहे थे तो रास्ते में एक आदमी और औरत ने लिफ्ट मांगी थी। औरत ने कहा कि वह गर्भवती है और चल नहीं सकती। औरत की हालत देख जब कार में लिफ्ट दे दी तो औरत ने आदमी के साथ मिलकर दुपट्टे के साथ मेरा गला दबा दिया था। न्यूरोलॉजिस्ट आज भी केस को फोलो कर रहे हैं और आज काफी साल बीत चुके हैं।
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