दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन हो गया। यह जानकारी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने गुरुवार रात दी। मंडेला 95 वर्ष के थे। भारत में मंडेला के सम्मान में 5 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। फेंफड़े में संक्रमण की वजह से उन्हें तीन माह तक अस्पताल में रहना पड़ा था, जिसके बाद उन्हें उनके घर में ही गहन चिकित्सा सुविधा के दायरे में रखा गया था। जुमा ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर वक्तव्य जारी कर कहा मंडेला नहीं रहे। हमारे देश ने एक महान बेटे को खो दिया।जुमा ने कहा कि मंडेला को राजकीय सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी और राष्ट्रीय झंडा झुका रहेगा।जुमा ने कहा, "मंडेला को उनकी इंसानियत ने महान बनाया था। हमने उनमें वह देखा है, जो हम खुद में चाहते थे। देशवासियों मंडेला ने हमें साथ लाया और हम साथ में उन्हें अंतिम विदाई देंगे। राष्ट्रपति जैकब जुमा ने कहा, हमारे देश ने अपने महान सपूत को खो दिया। देश की जनता ने अपने पिता को खो दिया। वह अब आराम कर रहे हैं। ज़ूमा ने घोषणा की है कि 15 दिसंबर को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। लोगों ने मंडेला को नाच-गा कर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रीय झंडे को आधा झुका दिया गया है। विश्वभर से उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। मंडेला का शव प्रिटोरिया स्थित कब्रिस्तान ले जाया जाएगा और अंतिम संस्कार शनिवार को होने की संभावना है। नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित मंडेला विश्व के श्रेष्ठ नेताओं में थे। वह 2004 में राजनीति से सन्यास लेने के बाद से सार्वजनिक स्थान पर बेहद कम नजर आते थे। उन्हें 2010 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित फुटबॉल विश्वकप में आखिरी बार सार्वजनिक स्थान पर देखा गया था। विश्वभर के नेताओं ने दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के निधन पर शोक प्रकट किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नोबेल पुरस्कार विजेता मंडेला ने 1994-99 के बीच राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था और उन्हें हाल के महीनों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही थी, उन्हें फेंफड़े में संक्रमण की वजह से कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से नवाजे गए मंडेला को फेंफड़े में शिकायत की वजह से 85 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा था, जो समस्या लंबे समय तक जेल में रहने की वजह से पैदा हुई थी। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें मुनष्यों के बीच महामानव की संज्ञा देते हुए उन्हें सच्चा गांधीवादी बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "उन्होंने न सिर्फ दुनिया की सच्चाई पेश की, बल्कि दमन और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वालों के लिए वह आशा की किरण बने रहे। यह दक्षिण अफ्रीका की तरह भारत की भी क्षति है।" अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "मंडेला ने इतिहास को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और नैतिक जगत के धनुष को न्याय की तरफ मोड़ दिया। हम मंडेला की पसंद को संभवत: दोबारा नहीं देख पाएंगे।"केन्याई पिता और अमेरिकी मां की संतान ओबामा ने अफ्रीकी मूल के प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति बन कर इतिहास रचा है। उन्होंने कहा, "मैं उन असंख्य लोगों में हूं जिन्हें मंडेला के जीवन से प्रेरणा मिली है।" चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने कहा, "दुनिया भर में सम्मान से देखे जाने वाले मंडेला के निधन से हम बेहद दुखी हैं।"लगभग तीन दशक तक जेल में बिताने वाले मंडेला की जिंदगी प्रेरणादायी है, उनका जोहांसबर्ग के एक उपनगर में स्थित घर में निधन हो गया। वह महात्मा गांधी के सिद्धांतों में विश्वास रखते थे। उन्होंने पीटरमर्टिजबर्ग में जून 1993 में कहा था, "महात्मा गांधी अज्ञानता, रोग, बेरोजगारी, गरीबी और हिंसा जैसी जिन बुराइयों से लड़ रहे थे, आज वह देश में आम हो गया है जिसमें अफ्रीका के उत्थान और इसकी अगुवाई करने की संभावना थी। आज हम अपने देश के पुनर्निमाण जैसे विकट कार्य का सामना कर रहे हैं। आज हमें महात्मा गांधी की सीख को ध्यान में रखना है।" मंडेला का जन्म 18 जुलाई , 1918 को दक्षिण अफ्रीका में त्रांसकी के मबाशे नदी के किनारे स्थित मवेजो गांव में हुआ था।
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