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अब अग्निवीर में धार्मिक आधार पर घुसपैठ की कोशिश
khaskhabar.com : बुधवार, 10 जुलाई 2024 7:28 PM
क्या भारत में सबकुछ ठीक है? भारत की आंतरिक संरचना सामान्य है? क्या भारत का सामाजिक तानाबाना घनीभूत और मजबूत बना हुआ है? और यह भी कि क्या भारत में धार्मिक ध्रुवीकरण तीव्र गति से हो रहा है? यह प्रश्न इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि असदुद्दीन ओवैसी लोकसभा में सदस्यता की शपथ लेते हुए जय फिलीस्तीन बोलते हैं। यह प्रश्न तब और भी समीचीन हो जाता है जब उत्तरप्रदेश में जुम्मे की नमाज के बाद मस्जिदों से अग्निवीर बनने के लिए अपील की जा रही हो।
यह प्रश्न इसलिए भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि मुस्लिम नेताओं के लाख दावों के उलट मुस्लिम समाज ने इस बार के लोकसभा चुनावों में पूरे देश में रणनीतिक रूप से मतदान किया और प्रधानमंत्री मोदी के सबका विश्वास के नारे को नकारते हुए हर उस उम्मीदवार को वोट दिया जो भाजपा को हराने की स्थिति में था।
यह घ्यान देने योग्य बात है कि एक ओर जहां भाजपा विरोधी राजनीतिक दल अग्निवीर योजना के खिलाफ लामबंद होकर विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज में अग्निवीर योजना के लाभ बताते हुए अधिक से अधिक युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिलाए जाने के पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। वह भी तब जब मुस्लिम युवाओं में सेना में जाने के लिए कोई खास उत्साह नहीं देखा जाता। तो ऐसा क्यों है?
केवल राजस्थान के कायमखानी समाज के लोग इसका अपवाद हैं, वे ना केवल सेना में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, अपितु कायमखानी समाज के 207 सैनिक भारत की ओर से युद्ध करते हुए शहीद हुए हैं। कायमखानी मूलतः राजपूत समाज से ही आते हैं, इनके व्यवहार और संस्कार राजपूत समाज के ही हैं। यह जरूर है कि विगत 20-30 वर्षों में मुस्लिम मौलवीयों ने हस्तक्षेप बढ़ाकर अरबी रीति नीति को इनकी दिनचर्या में शामिल किया है, वरना ऐसे लाखों कायमखानी परिवार मिल जाएंगे जिनके विवाह में हल्दी चढ़ी है फिर फेरे हुए हैं और बाद में निकाह पढ़ा गया है।
विषय यह है कि मुस्लिम समाज जिस राजनीतिक दल का समर्थन कर रहा है, उनके द्वारा अग्निवीर योजना के विरोध के बावजूद वो अपने युवाओं को अग्निवीर बनाने पर क्यों जोर दे रहा है?
ऐसा तब हो रहा है जब मुस्लिम समाज में ना केवल कट्टरता बढ़ रही है, अपितु उस का सार्वजनिक प्रदर्शन भी किया जा रहा है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी उस कट्टरता को अनदेखा कर ना केवल हिन्दुओं को हिंसक बता रहे हैं अपितु अग्निवीर योजना को बंद करवा देने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। प्रश्न यह भी है कि देश की रक्षा प्रणाली में अब धार्मिक आधार पर भर्तियां कराए जाने की कोशिशें होंगी और सरकार चुपचाप देखती रहेगी?
प्रश्न यह भी है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि भाजपा विरोधी राजनीतिक दल हिन्दू समाज के युवाओं को भ्रमित करके अग्निवीर योजना के तहत भाग लेने से रोक रहे हों और दूसरी तरफ मुस्लिम समाज अपने युवाओं को प्रशिक्षित सैनिक बनाने की योजना पर काम कर रहा हो। हो सकता है कि सरकार ने इस योजना को लागू करने में उतावलापन दिखाया हो, लेकिन अब दो साल बीतने के बाद इसमें आवश्यक सुधार और संशोधन भी किए जा सकते हैं।
यह ठीक है कि शासन के लिए अपने नागरिकों में धर्म के आधार पर भेद किया जाना संभव नहीं है, और ना ही ऐसा होना ही चाहिए लेकिन समाज में हो रही असामान्य गतिविधियों पर शासन की तार्किक निगाह तो होनी ही चाहिए। होना तो यह भी अपेक्षित है कि भाजपा विरोधी दलों के अग्निवीर पर चल रहे कुप्रचार को कुंठित करने के लिए सरकार इस योजना के मंतव्य और अधिक स्पश्ट तरीके से देश के युवा वर्ग के बीच लेकर जाए। जिससे देश में बनने वाले आंतरिक सुरक्षा चक्र पर विरोधियों की नजर नहीं लगे।
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