नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं को यमुना नदी के किनारे छठ पूजा करने से रोकने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि नदी में प्रदूषण रोकने के लिए रोक लगाई गई थी। याचिकाकर्ता सोसायटी, छठ पूजा संघर्ष समिति और पूर्वांचल जागृति मंच का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने याचिका खारिज करने की अदालत की इच्छा के जवाब में याचिका वापस लेने का फैसला किया।
याचिका में दिल्ली सरकार के दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा 29 अक्टूबर 2021 को जारी एक आदेश का विरोध किया गया, जिसमें कोविड-19 के कारण सार्वजनिक स्थानों, सार्वजनिक मैदानों, नदी तटों और मंदिरों में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी गई थी।
सोसायटियों ने विभिन्न घाटों और यमुना नदी के किनारे छठ पूजा करने की भी अनुमति मांगी। हालांकि, विवादित आदेश में केवल निर्दिष्ट स्थलों पर उत्सव मनाने की अनुमति दी गई थी और स्पष्ट रूप से यमुना नदी के तटों को बाहर रखा गया था।
सोसायटियों ने तर्क दिया कि यह आदेश अवैध और मनमाना था, जिससे लाखों भक्त प्रभावित हुए और उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।
उन्होंने तर्क दिया कि छठ पूजा, एक धार्मिक त्योहार के रूप में संवैधानिक अधिकारों के दायरे में आता है, और इसके उत्सव पर किसी भी प्रतिबंध को संभावित रूप से किसी के धर्म का पालन करने और प्रचार करने के अधिकार के उल्लंघन के रूप में चुनौती दी जा सकती है।
--आईएएनएस
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