चंडीगढ़। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहाकि हरियाणा के किसी भी सरकारी दफ्तर में बिना रिश्वत के काम नहीं होता। हर रोज बीजेपी-जेजेपी सरकार का कोई न कोई घपला-घोटाला, भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है।
सांसद हुड्डा को हरियाणा स्टेट फार्मेसी काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष केसी गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल एवं फार्मेसी से जुड़े लोग जिनमें प्रमुख रूप से झज्जर केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश कौशिक, अमित यादव, प्रदीप, अमन समेत कई लोग मौजूद थे, ने बताया कि फार्मेसी की पढ़ाई करके निकलने वाले कई विद्यार्थियों से हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए 20 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक की घूस ली जाती है। यदि कोई रिश्वत नहीं देता तो उसका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता। दूसरे राज्य से 12वीं या फार्मेसी के नाम पर आपत्ति लगाकर रजिस्ट्रेशन लटका दिया जाता है। रिश्वत न दे पाने वाले हरियाणा के युवा फार्मेसी लाइसेंस के लिए चक्कर काटने को मजबूर हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने मांग की कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ हरियाणा में हो रहे भ्रष्टाचार की सरकार उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराए।
प्रतिनिधि मंडल ने सांसद दीपेंद्र हुड्डा को बताया कि फार्मेसी काउंसिल के कर्ता-धर्ता खुद को सत्ता में उच्च पदों पर बैठे लोगों का करीबी बताते हुए बेधड़क रिश्वत लेकर फार्मेसी लाइसेंस जारी करने का गोरखधंधा चला रहे हैं। रजिस्ट्रेशन और रिन्यूवल के नाम पर भारी रिश्वतखोरी का खेल चल रहा है। ऐसा भी देखने में आया है कि सैंकड़ों अपात्र लोगों ने रिश्वत देकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया।
पिछले साल राज्य विजिलेंस ने काउंसिल के चेयरमैन, वाइस-चेयरमैन, रजिस्ट्रार और एक दलाल के खिलाफ केस दर्ज किया था। लेकिन, सरकार का संरक्षण होने के चलते उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
प्रतिनिधमंडल के सदस्यों ने यह भी बताया कि हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन को सरकार ने गलत ढंग से कॉलेजों का निरीक्षण करने के लिए नियुक्त कर दिया है। जबकि हरियाणा स्टेट टेक्निकल बोर्ड ने पहले ही कॉलेजों का निरीक्षण पूरा कर लिया है। जाहिर है सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए ही एक आरोपी को निरीक्षण करने के लिए लगाया है।
प्रतिनिधि मंडल ने सवाल उठाया कि कॉलेजों की सम्बद्धता व मान्यता के लिए क्या अब स्टूडेंट जांच करेंगे। क्योंकि चेयरमैन धनेश अदलखा खुद संवैधानिक पद पर रहते हुए 2020 से छात्र के रूप में पंजीकृत है और बी. एस. अनंगपुरिया इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी, फरीदाबाद के रेग्युलर कोर्स में एडमिशन ले रखा है। उनकी मांग थी कि फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन को तुरंत पद से हटाया जाए और फार्मेसी एक्ट की धारा 45 (5) के तहत इनकी जांच करायी जाए।
प्रतिनिधि मंडल ने दीपेंद्र हुड्डा को बताया कि फार्मेसी एक्ट की धारा 19 के तहत चुनाव होते हैं। भ्रष्टाचार के आरोपी चेयरमैन धनेश अदलखा और उप-प्रधान सोहनलाल कंसल कभी निर्वाचित नहीं हुए। फिर भी सरकार ने उसे मनोनीत सदस्य बनाने के अलावा चेयरमैन पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी।
इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के साथ अपनी फोटो फेसबुक पर पोस्ट करके रौब झाड़ने वाले इन्हीं चेयरमैन का नाम फरीदाबाद नगर निगम में हुए 200 करोड़ रुपए के घोटाले में आया था, जिसमें बिना काम कराए ही करोड़ो की पेमेंट कर दी गयी। लेकिन लचर जांच और भ्रष्टाचारियों को बचाने की नीति के कारण धनेश अदलखा का कुछ नहीं बिगड़ा।
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