छतरपुर/भोपाल । अंतर्राष्ट्रीय
पर्यटन नगरी खजुराहो में 42 साल बाद मंदिर प्रांगण में नृत्य महोत्सव का
आयोजन किया गया है। राज्य की संस्कृति, पर्यटन और आध्यात्म मंत्री ऊषा
ठाकुर ने इसका उद्घाटन किया। बीते सालों में यह समारोह मंदिर प्रांगण के
बाहर होता था।
ऊषा ठाकुर ने शनिवार रात को 47वें खजुराहो नृत्य समारोह का शुभारंभ कन्या
पूजन एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। इस बार के आयोजन की मुख्य विशेषता यह है
कि 44 वर्षों के बाद 47वां महोत्सव मां जगदंबा और कंदरिया महादेव मंदिर के
प्रांगण में शुरू हुआ। अभी तक यह समारोह मंदिर प्रांगण के बाहर हेाता था
मगर पीछे मंदिर नजर आते थे, इस बार यह समारोह मंदिर प्रांगण में ही हो रहा
है।
मुख्य अतिथि और मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 की
चुनौतियांे को मुक्ति का संदेश देता यह भारत न सिर्फ आर्थिक उपार्जन की
गतिविधियों को सु²ढ़ कर रहा है, अपितु सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हो रहा
है। खजुराहो चंदेलकालीन अमूल्य धरोहर की गाथा है। यह भारतीय मूल दर्शन का
चित्रण है। इसमें अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष विद्यमान हैं। खजुराहो शाक्य,
शिव और वैष्णव के अद्भुत संगम की स्थली है। 1838 में ब्रिटिश कैप्टन बट ने
खजुराहो को तलाशा। यह 1986 में यूनेस्को में दर्ज हुआ।
मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने खजुराहो नृत्य समारोह को लेकर दिए अपने वर्चुअल संदेश
में कहा, "इस बार का नृत्य समारोह अपने आप में अनूठा है। यह मंदिर प्रांगण
में 44 वर्षों बाद हो रहा है। इसका आयोजन 1975 में शुरू हुआ। खजुराहो
सिर्फ समारोह ही नहीं है अपितु यह उपासना, साधना और आराधना भी है।"
उन्होंने कहा कि खजुराहो आयोजन के 50 वर्ष पूरे होने पर इसके आयोजन को
भव्यता प्रदान की जाएगी।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर
शुक्ला ने खजुराहो नृत्य समारोह का ब्यौरा दिया। इस अवसर पर उस्ताद
अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी भोपाल द्वारा ललित कला पुरस्कार की 10
विभिन्न क्षेत्रों के लिए मूर्धन्य प्रतिभाओं को पुरस्कार प्रदान कर
शाल-श्रीफल से उनका सम्मान किया गया। प्रत्येक पुरस्कारों के लिए 51 हजार
रूपए की राशि दी गई। आभार प्रदर्शन संस्कृति विभाग के संचालक अदिति जोशी ने
माना।
--आईएएनएस
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