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महाराणा प्रताप के वंशज श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ की मेवाड़ के हेरिटेज और पर्यटन विकास में रही असाधारण भूमिका

Shriji Arvind Singh Mewar, a descendant of Maharana Pratap, played an extraordinary role in the heritage and tourism development of Mewar - Jaipur News in Hindi

गोपेन्द्र नाथ भट्ट


जयपुर । महाराणा प्रताप के वंशज और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ की मेवाड़ के हेरिटेज और पर्यटन विकास में असाधारण भूमिका रहीं है।श्री जी के नाम से लोकप्रिय अरविन्द सिंह ने जीवन पर्यन्त मेवाड़ राजवंश की परंपराओं को आगे बढ़ाने का हरसंभव प्रयास किया। उनके निधन से दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ अंचल की एक बड़ी हस्ती के अनायास यूं चले जाने से पैदा हुई शून्यता को भरा जाना संभवत आसान नहीं होगा।

अरविंद सिंह मेवाड़ का लंबी बीमारी के बाद वी गत रविवार को सुबह उदयपुर में निधन हो गया था । वे 81 वर्ष के थे।उनका अंतिम संस्कार वैदिक परंपराओं के अनुसार सोमवार को उदयपुर के निकट राजपरिवार के शवदाह गृह महासतियाँ में किया गया । अरविन्द सिंह के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने उन्हें मुखाग्नि दी ।इस मौके पर नाथद्वारा विधायक और दिवंगत अरविन्द सिंह के भतीजे विश्वराज सिंह भी महासतियाँ पहुंचें और अपने चाचा को श्रद्धांजलि अर्पित की । विश्वराज सिंह और लक्ष्यराज सिंह ने एक दूसरे को हाथ जोड़ें ।

इसके पहले उदयपुर के सिटी पैलेस में अरविंद सिंह मेवाड़ के अन्तिम दर्शन करने बड़ी संख्या विशिष्ठ जन और नगरवासी उमड़ पड़े । उनकी एक किमी से भी लम्बी अन्तिम यात्रा निवास स्थान शम्भु निवास से शुरू होकर सिटी पैलेस की बड़ी पोल, उदयपुर के जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार, देहली गेट होती हुई महासतियाँ पहुंची । पंजाब के राज्यपाल और अरविन्द सिंह के सहपाठी गुलाब चन्द कटारिया ने भी उनके पार्थिव शव को कंधा दिया । क्रिकेटर और जडेजा राजपरिवार के अजय जडेजा, टी वी कलाकार और हास्य कवि शेलेष लोढ़ा ताज समूह के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे । इस अवसर पर कई भावुक प्रसंग दिखें । लक्ष्यराज सिंह अपनी दोनों बहनों भार्गवी कुमारी एवं पद्मजा कुमारी को अपनी बाँहों में भर फफक उठे । लक्ष्यराज सिंह ने पूरे शव यात्रा मार्ग में अपने पिता के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। जब वह अपने पिता को कंधा दे रहें थे तो उनका नन्हा सा पुत्र भी नंगे पांव शवयात्रा के आगे आगे चल रहा था। इन मार्मिक दृश्यों को देख नगरवासी भी भावुक हुए बिना नहीं रहें।

अरविंद सिंह मेवाड़ के देहान्त पर देश विदेश के अनेक नेताओं और जानी मानी शख्शियतों ने गहरा शोक व्यक्त किया हैं तथा उदयपुर के हेरिटेज और पर्यटन विकास में उनकी असाधारण और अथक भूमिका का स्मरण किया हैं। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,केन्द्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंह सिंधिया, पंजाब के राज्यपाल गुलाब चन्द कटारिया,राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं अशोक गहलोत,पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र,उप मुख्यमंत्री दियाकुमारी और प्रेम चंद बैरवा सहित भजन लाल मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्यों एवं भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य कई दलों के नेताओं तथा विशिष्ठ व्यक्तियों ने उनके निधन पर अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। अरविंद सिंह के देहान्त पर उनके भजीजे और नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ ने भी शोक व्यक्त करते हुए मेवाड़ के इष्ट एकलिंग नाथ जी से उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की ।

अरविंद सिंह मेवाड़, मेवाड़ राजवंश के 76 वें संरक्षक थे। उनके बड़े भाई पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी पांच माह पूर्व ही पिछले साल नवंबर में निधन हुआ है।हालांकि राजपरिवार के संपत्ति विवादों को लेकर उनके अपने बड़े भाई महेन्द्र सिंह मेवाड़ से सम्बन्ध सामान्य नहीं थे,फिर भी उन्होंने राज परिवार की परंपराओं के निर्वहन में कोई कमी और कसर बाकी नहीं रखी और हर उस परम्परा एवं रस्मों को निभाया जो मेवाड़ राजवंश में वर्षों से निभाई जा रही हैं। रोबीले व्यक्तित्व और प्रभावशाली उद्बोधन की कला में माहिर अरविन्द सिंह मेवाड़ अपनी मेवाड़ी पगड़ी एवं अपने राजसी लिबास और तदनुरूप आचरण के लिए पहचाने जाते थे।

अरविन्द सिंह मेवाड़ लंबे समय से बीमार थे और उदयपुर में उनके सिटी पैलेस स्थित आवास शिव निवास पर उनका चिकित्सीय इलाज किया जा रहा था। वे महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी के छोटे पुत्र थे। उनका विवाह कच्छ की राजकुमारी विजयराज के साथ हुआ था। उनके एक पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और दो पुत्रियाँ भार्गवी कुमारी एवं पद्मजा कुमारी हैं।

कई इतिहासकारों ने कहा कि अरविंद सिंह मेवाड़ पुरातन के प्रति सम्मान और नवीन के प्रति वैज्ञानिक अभिरुचि के धनी थे।ऐतिहासिक दृष्टि से मेवाड़ लगभग 1400 वर्षों तक भारत के इतिहास में स्वतंत्रता और स्वाभिमान को लेकर संघर्षधर्मी रहा। मेवाड़ में स्वाभिमान,शौर्य,भक्ति, त्याग, समर्पण और सांस्कृतिक चेतना के कई उदाहरण भरे पड़े है। अरविंद सिंह मेवाड़ ने मेवाड़ के इन विचारों का बखूबी पालन किया । अरविन्द सिंह ने पर्यटन के क्षेत्र में उदयपुर और मेवाड़ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष में स्थापित करने और डिजिटल प्रक्रिया से पूरे सांस्कृतिक वैभव के आधुनिकीकरण के लिए सतत प्रयास किए। मेवाड़ को उनके इस योगदान के लिए सदैव याद किया जाएगा।

पद्मावत फिल्म का प्रसंग हो या महाराणा प्रताप के सम्मान की बात, वे सदैव संघर्ष करने में भी कभी पीछे नहीं रहे। इन जीवन मूल्यों के लिए उन्होंने व्यापारिक लाभ-हानि की परवाह किए बिना अपने गुहील वंश की परिपाटी का पालन किया। वे पर्यटन, क्रिकेट,पोलो, इतिहास,संस्कृति के अकादमिक प्रेम और आधुनिकता के साथ कदम ताल मिलाकर चलने वाले मेवाड़ के ऐसे वंशज थे जो सच्चे अर्थों में मेवाड़ के वंशधर भी थे। अरविन्द सिंह ने उदयपुर में पर्यटन विकास को नए पंख दिए। उन्होंने पिछोला झील के मध्य बने लेक पैलेस और जग मंदिर तक नौका विहार के साथ ही हेलीकॉप्टर राइड के प्रयोग भी किए तथा झीलों के आसपास नई पांच सितारा होटलों के निर्माण में भी अहम योगदान दिया। उन्होंने राजस्थान में सबसे पहले डेस्टिनेशन मैरिज के लिए देशी विदेशी हस्तियों को उदयपुर आमन्त्रित किया। साथ ही सिटी पैलेस में क्रिस्टल गैलेरी और दरबार हाल को आम अवाम के लिए खोल दिया। उन्होंने उदयपुर की झीलों और महलों में फिल्मी शूटिंग तथा मैरिज को भी प्रोत्साहन दिया।
एच आर एस ग्रुप्स ऑफ़ होटल्स तथा अन्य कई न्यासों के अध्यक्ष अरविन्द सिंह मेवाड़ ने अपने पिता महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ द्वारा शुरू किए गए होटल व्यवसाय तथा महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन पुरस्कारों और सम्मान की परम्परा को अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुलंदियों तक पहुंचाया ।
साथ ही सिटी पैलेस में मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास का दिग्दर्शन कराने लाईट एंड साउंड कार्यक्रम शुरु करवाने का प्रशंसनीय कार्य भी किया। उन्होंने पर्यटन के साथ होटल विकास और झीलों के संरक्षण के लिए भी कई सराहनीय कार्य किए। उनके प्रयासों से उदयपुर की खूबसूरत झीलों के वर्ष पर्यन्त पानी से भरें रहने का काम भी हुआ । अरविन्द सिंह को विंटेज कारों का शौक था और उन्होंने इसके लिए अपने गार्डन पैलेस होटल में एक संग्रहालय भी बनवाया जोकि हमेशा देशी विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा स्थान रहा हैं। वे रणजी खिलाड़ी थे तथा क्रिकेट के संरक्षण और विकास के जीवन पर्यन्त पक्षधर रहें । उन्होंने अपने ही वंश के राजसिंह डूंगरपुर के सहयोग से पूरी भारतीय क्रिकेट टेस्ट टीम को उदयपुर आमंत्रित कर भूपाल नोवेल्स कॉलेज ग्राउंड पर एक क्रिकेट प्रदर्शन मैच भी आयोजिय कराया था। उस टीम में क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर और अन्य टेस्ट एवं रणजी खिलाड़ी भी शामिल थे।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर में हुई और बाद में उन्होंने उदयपुर से ग्रेजुएट होने के बाद यूरोप में होटल प्रबंधन की उच्च शिक्षा ग्रहण की तथा कुछ समय अमरीका में नौकरी भी की लेकिन बाद में वे उदयपुर लौट आये तथा जीवन पर्यन्त उदयपुर की शिकारबाड़ी और सिटी पैलेस में रह कर उदयपुर को विश्व पर्यटन मानचित्र पर उभारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

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