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साल में 24 एकादशी होते हैं और एक निर्जला एकादशी 24 एकादशी के बराबर मान्य है

There are 24 Ekadashi in a year and one Nirjala Ekadashi is equal to 24 Ekadashi - Haridwar News in Hindi

हरिद्वार। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद महाराज जी ने बताया कि 5 वर्ष पहले जीवन मंत्र डेस्क. निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है। ये व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। इस एकादशी का व्रत करके श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने वालों को पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है। इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
आज आचार्यश्री ने बताया कि एक बार बहुभोजी भीमसेन ने व्यासजी के मुख से प्रत्येक एकादशी को निराहार रहने का नियम सुनकर विनम्र भाव से निवेदन किया कि महाराज ! मुझसे कोई व्रत नहीं किया जाता। दिन भर बड़ी तीव्र क्षुधा बनी ही रहती है। अतः आप कोई ऐसा उपाय बतला दीजिए जिसके प्रभाव से स्वत: सद्गति हो जाय। तब व्यासजी ने कहा कि तुमसे वर्ष भर की सम्पूर्ण एकादशी नहीं हो सकती तो केवल एक निर्जला कर लो, इसी से सालभर की एकादशी करने के समान फल हो जायगा। तब भीम ने वैसा ही किया और स्वर्ग को गए। इसलिए यह एकादशी भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है।

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद गिरी महाराज ने बताया कि निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। आचार्य महामंडलेश्वर ने हिन्दू पंचाग अनुसार वृषभ और मिथुन संक्रांति के बीच शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे।इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सोमेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा कि सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है। जहाँ साल भर की अन्य एकादशी व्रत में आहार संयम का महत्त्व है।

वहीं निर्जला एकादशी के दिन आहार के साथ ही जल का संयम भी ज़रूरी है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है यानि निर्जल रहकर व्रत का पालन किया जाता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। आचार्य जी ने बताया यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है।

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Web Title-There are 24 Ekadashi in a year and one Nirjala Ekadashi is equal to 24 Ekadashi
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